23rd Day :: the Rape- Who suffers & who should suffer

Rape हमारे समाज की एक घृणित बुराई है, जिसको हमें ख़त्म करने का प्रयास करना ही होगा। इस बुराई को समाज से हटाने के लिए हमें सबसे पहले इसके कारण को समझने का प्रयास करना चाहिए। generally यह माना जाता है कि इसका मुख्य वजह सेक्स है, लेकिन मै  ऐसा नहीं मानता। मेरा मानना है कि सेक्स इसकी एक छोटी वजह है, जबकि main  वजह Rape को लड़कियों के खिलाफ सजा के रूप में इस्तेमाल करना है।
अक्सर लड़के को परेशान करने या बदला लेने के लिए उसके साथ मारपीट की जाती है, मगर ऐसी ही condition  में  लड़की के साथ Rape किया जाता है। क्योंकि Rapist जानता है कि  इससे लड़की समाज में अलग-थलग हो जाएगी और उससे शादी करने को कोई तैयार नहीं होगा। इस तरह Rape उस लड़की के लिए सजा बन जाती है।
जो लोग sex को Rape की मुख्या वजह मानते हैं  उनसे मै ये कहना चाहूँगा कि क्या हमारे देश में रेड लाइट  areas की कमी है , जहाँ आदमी अपनी जरूरत नहीं पूरी कर सकता या फिर शादी-शुदा आदमी Rape नहीं करता?
इसलिए इस समस्या के समाधान के रूप में मै सोचता हु कि हमें इसके कारण  को ही समाप्त कर  देना चाहिए। मतलब कि  अगर समाज Raped लड़की को accept करे तो यह समस्या बहुत हद तक solve हो सकती है। यानि कि अच्छे लडकों को Raped  लड़की  से शादी करने के लिए आगे आना चाहिए।
आखिर गलती Rapist करता है तो उसकी सजा हम raped लड़की को क्यों देते हैं? हम उस लड़की को अछूत क्यों बनाते हैं जबकि हमें Rapist को अछूत बनाना चाहिए।
2nd और कम उत्तरदायी कारण है- sex .  इसका भी solution है, समाज में live-in relationship को मान्यता देना और उसे स्वीकारना। क्योंकि आज के दौर में बहुत से लड़के-लडकियों को शादी या career में से career को प्राथमिकता देना मजबूरी होती है। जिससे वो 30-35 साल की उम्र में ही शादी के लिए तैयार हो पाते हैं। इसलिए उन्हें 20-35 वर्ष के बीच का समय बिना sex के बिताना पड़ता है।
इसलिए live-in relationships को मान्यता देने से Rape के मामलों में कुछ कमी तो आएगी ही , साथ ही Red-light-areas की संख्या में भी कमी आएगी।
इसका मतलब ये नहीं कि लिव इन रिलेशनशिप रेप का solution  है। solution के लिए हमें रैप के दोषी को निश्चित और कठोर सजा की व्यवस्था हमें करनी ही होगी। 

Comments

Popular posts from this blog

59th Day :: How to make our society clean from bad people

26th Day :: Some thoughts from me

64th day :: What we mean by Spirituality