15th day :: IIT entrance exam & teacher

आजकल IITies के Entrance Exams के  एकीकरण की बात चल रही है . यह एक स्वागत योग्य कदम है , लेकिन कुछ चिन्ताएं भी हैं . अगर common test का स्वरुप ऐसा बनता है जिससे सभी IITies को उनके syllabus के अनुसार क्षमतावान students को चुनने में समस्या न हो , तो common test में  मुझे कोई बुराई नहीं दिखाई देती . हाँ इस तरह IITies की  present ranking में बदलाव का डर उन्हें ज़रूर लगेगा और साथ ही individual test से होने वाली income पर भी असर होगा .
 मगर इस proposal का एक negative side भी है और वह है इस exam में 12th exam के  percentage को waightage देना . क्योंकि अलग-अलग Boards के अलग-अलग syllabus है और उनका marking system भी different है। इसलिए percentage देखकर किसी स्टुडेंट की सही क्षमता का आकलन करना गलत होगा।
कुछ लोग इसके लिए यह तर्क देने में लगे हैं की इससे Board exams का महत्व बढेगा और student इण्टर की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देगा। लेकिन मुझे ऐसे में नक़ल माफियाओं का ही  महत्व बढ़ता दिखाई देता है और  पैसे लेकर नंबर बढ़ाने से शुरू यह खेल बाद में पैसे न देने वाले प्रतिभाशाली student का नंबर घटाने तक पहुँच सकता है।
ऐसे लोगों को पहले इण्टर में पढ़ने वाले students की वास्तविक समस्याओं पर नज़र डालनी चाहिए और उसे सुधारने का प्रभावी प्रयास करना चाहिए। आखिर स्टुडेंट क्यों collage fees जमा करने के बावजूद tuter से या coaching में पढने जाते हैं और पैसे के साथ-साथ समय भी बर्बाद करते हैं ? उन्हें इसका कोई शौक नहीं होता ,बल्कि कई गरीब  बच्चे भी ऐसा करने को मजबूर हो जाते हैं तो केवल इसलिए क्योंकि  school में
teacher पढ़ाते ही नहीं , बल्कि खानापूर्ति करते हैं और attendance कम होने पर वसूली अलग से करते हैं . आखिर जब class में पढ़ाई ही नहीं होगी तो बच्चे क्यों स्कूल आना चाहेंगे।
  हमारे देश में teacher को भगवान् से भी बड़ा  माना गया है , जितना कि  उससे कई गुना ज्यादा पढेलिखे और हज़ारों जाने बचाने वाले  डाक्टर को भी नहीं माना गया है .
उसे भी भगवान् के सिर्फ बराबर होने का दर्ज़ा दिया जाता है . ऐसा मानने के पीछे यह सोच थी की एक डाक्टर तो कई जाने बचाता है लेकिन एक teacher तो कई जिन्दगियाँ  बनाता है , दुसरे शब्दों में कई doctor, engineer, leader etc बनाता है .
इसलिए  एक अच्छे teacher का काम सिर्फ पढ़ाना ही नहीं ,बल्कि subject को समझाना भी है और साथ में student को guide करना  भी  . जैसे कि क्या पढ़ें -क्या नहीं ,  exam pressure को कैसे handle करें etc. 
यहाँ तक कि वो student के चरित्र -निर्माण में भी सहायक होता है। मगर आजकल तो teacher अपनी basic जिम्मेदारी भी नहीं निभाता।
वैसे तो इस समस्या के लिए मुख्यतः  व्यवस्थापक और निगरानी तंत्र दोषी होते हैं ,  फिर भी कुछ वज़हों को लिख देता हूँ :-

1-    teacher को subject की पर्याप्त जानकारी ही नहीं होती और वो किसी सोर्स -सिफ़ारिश  या किसी और shartcut के द्वारा चुना गया होता है।
2-    teacher को subject की जानकारी तो होती है  लेकिन वो स्टूडेंट्स में sabject के प्रति interest नहीं पैदा कर पाता।
3-    teacher हर तरह से सक्षम है लेकिन वो पढ़ाना नहीं चाहता।

इसकी भी कुछ विशेष वजहें हैं -
          (a )    teacher आलसी है।
          (b )    teacher बच्चों को मज़बूर करना चाहता है कि बच्चे उसके या उसके परिचित की coaching class attend करें, जिसके लिए टीचर को कुछ कमीशन मिलता हो।


इन वजहों के साथ-साथ कहीं-कहीं basic facility ही न होने के कारण बच्चे पढ़ने नहीं जाते ,  तो कहीं इस वजह से नहीं पढ़ाया जाता कि बच्चे exam पास करने के लिए नक़ल माफ़ियाओं के चंगुल में फँस जाएँ।

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