49th Day ::- The Destiny : We should believe or not

कई बार (usually in films) जब किसी को ये कहते हुए सुनता था कि "we are here because it's our destiny", तो मैं ये सोचता था कि ये destiny क्या होती है।  अब काफी समय बाद जैसे थोड़ा-बहुत जान पाया हु थोड़ा-थोड़ा इसपर यकीन भी करने लगा हूँ। इसे prove करते हुए कुछ example मुझे दिखाई देते हैं। जैसे- लोहे की destiny है कि उसे कभी न कभी आग में गलाकर उससे औजार या हथियार बनाया जाएगा। इसलिए ये भी उसकी destiny है कि कभी-न-कभी वो लोहार या मैकेनिक के पास भी जरूर पहुँचेगा।  इसी तरह सोने की destiny है कि उसे आग में गलाया जायेगा , एसिड से जलाया जाएगा और साथ ही वो किसी औरत के श्रृंगार के लिए use  होगा। ऐसे ही  हीरे की destiny है कि उसे कई बार cut किया जाएगा और पोलिश किया जाएगा।

               हमारी भी destiny कुछ-कुछ ऐसी ही है।  हमें भी अपने गुणों के अनुसार संसार में किसी विशेष जगह जाना पड़ता है और किसी विशेष type के व्यक्ति से मिलना पड़ता है।  बस हममें और निर्जीव वस्तुओं में एक फर्क ये है कि निर्जीव वस्तुएँ चुनाव नहीं करतीं लेकिन हम चुनते हैं। हम खुद decide करते है कि हमारे लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा।  इसी आधार पर हमारे गुण विकसित होते हैं जिनके आधार पर हमारी destiny , यानि हमें उन particular properties के साथ किस जगह होना चाहिए ,ये condition खुद-ब-खुद बन जाती है ।
     दूसरा फर्क ये है कि हम अपनी जिंदगी में लगभग कभी भी अपने गुणों या अवगुणों में बदलाव लाकर लोहे से सोना या सोने से  लोहा बन सकते हैं और इस तरह अपनी destiny भी बदल सकते हैं। 

Comments

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 16 अप्रैल 2016 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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