43rd Day :: Media & Multimedia

कभी आजादी दिलाने के लिए लोगों को जगाने और क्रांति करने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला media महज चन्द  पावरफुल लोगों के हाथों की कठपुतली सा बनता जा रहा है। अब मीडिया का काम केवल विभिन्न कंपनियों और celebrities या राजनेताओं का प्रचार करना भर रह गया है। जनता की आवाज़ उठाने की इन्हें अब फुर्सत ही नहीं रह गयी है। दुर्भाग्य से अब तो झूठ भी सीना तानकर परोसा जाने लगा है जबकि जरूरत न सिर्फ सच बल्कि सही को दिखाने की है। इनका ध्यान अधिकतर केवल स्टिंग ऑपरेशन पर ही लगा रहता है क्योंकि इससे सनसनी फैलती है। जो कि अधिकतर political दबाव बनाने की रणनीति का ही हिस्सा होता है। बड़े रिश्वतखोर नेताओं और आपराधिक रिकार्ड वाले व्यक्तियों का स्टिंग ऑपरेशन तो समझ में आता है लेकिन सही छवि वाले लोगों की निजी जिंदगी में झाँकने की इजाजत इन्हें कौन दे देता है। इनका तर्क होता है कि सार्वजनिक लाइफ जीने वाले लोगों के बारे में सबकुछ जानना जनता का हक है। ठीक है कि सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाले actors , actresses या कोई अन्य व्यक्ति प्रचार के लिए अपनी कुछ निजी जानकारियाँ दे दें और आपको अपने घर में घुसने का हक दे दें। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि बिना पूछे आप उनके बाथरूम या बेडरूम में घुस जाएँ। क्योंकि हमाम में  तो सभी नंगे हैं। सड़क पर नंगा होना अपराध है न कि बाथरूम या बेडरूम में। इतना ख्याल तो मीडिया को रखना ही चाहिए कि उनकी वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के सही लोगों को  भावनात्मक चोट न पहुँचे, वैसे भी कलाकार निजी तौर पर इमोशनल होते हैं। हालाँकि इधर 1-2 सालों  में मीडिया, खासतौर पर print मीडिया में अच्छा बदलाव देखने को मिला है। जैसे कि साइंस , web , computer आदि के साथ-साथ गाइड  वाले thoughts आदि।
आजकल मीडिया काफी हद तक उस contract killer की तरह हो गया है जिसका काम है लाभ लेकर किसी बुरे  से बुरे व्यक्ति को भी अच्छी छवि दे देना या अच्छे से अच्छे व्यक्ति को भी पलक झपकते ही लोगों की नज़रों में रावण साबित कर देना। क्या ये जनता से धोखा और उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं है ?
उदाहरण के लिए अमेरिका जैसे देश में जहाँ sex के मामले में समाज में बहुत खुलापन है,  वहाँ भी बिल क्लिंटन की एक प्रेमिका 10-15 साल पुराने सम्बन्ध के चलते उनपर ये आरोप लगाया और क्लिंटन की कुर्सी चली गयी।  वहीं यही मीडिया भारत जैसे देश में जहाँ सेक्स के मामले में खुलापन नहीं है , फिर भी कुछ बड़े उद्योगपतियों और नेताओं आदि को models के साथ पार्टी करते दिखाया जाता है और कहा जाता है कि वे कितने बड़े 'सेलिब्रिटी' हैं या glamourus हैं। मीडिया को इन लोगों की जीवनशैली से कोई आपत्ति नहीं होती।
एक और example के रूप में हमारे देश में भी मौजूद कुछ  चैनल्स हैं जिनका काम केवल कुछ selected celebrities को टारगेट करके comment करना है और उनकी खिल्ली उडाना है। 

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