34rth Day:: Mafiyavaad

आजादी के इतने वर्षों बाद जब मैं यह सोचता हूँ कि हमारा देश पर्याप्त विकास क्यों नही कर पाया तो जवाब यही आता है कि भले ही हम शारीरिक रूप से आजाद हो गए हों मगर अभी भी कई तरह की मानसिक गुलामी को हम ख़त्म नही कर पाए हैं।ऐसी ही एक मानसिक गुलामी का नाम 'माफियावाद' है।
अंग्रेजों और माफियाओं के बीच फर्क सिर्फ इतना है कि अंग्रेज विदेशी थे और माफिया हमारे ही देश के, बाकी सब-कुछ same है । अंग्रेज भी बांटो और राज करो की नीति अपनाते थे और माफिया भी इसी नीति को अपनाते हैं।अंग्रेजों ने भी कुछ राजाओ के आपसी झगडे में एक का साथ देकर उन्हें अपने साथ मिला लिया और हमारे ही देश के ऐसे कुछ स्वार्थी राजाओं और व्यापारियों के दम पर वर्षों तक राज किया तो ये माफिया भी लोगों के बीच झगड़े करवाकर और फिर झगड़े में कुछ लोगों का साथ देकर उन्हें अपने काम के लिए तैयार करते हैं । यही लोग माफियाओं की ढाल बनते हैं। डर माफियाओं का मुख्य अस्त्र होता है और इस डर को कायम रखने के लिए ये माफिया कुछ भी करने को तैयार रहते हैं क्योंकि हम लोगों से ज्यादा डर इन लोगों के मन में होता है कि अगर जनता इनसे डरेगी नहीं तो इनके लिए 1 पैसे का धंधा करना भी मुश्किल हो जाएगा।
दूसरे लोगों से अलग मैं यह मानता हूँ कि डर कायम रखने के लिए आज के समय में एक माफिया हथियारों से ज्यादा अपने इन दो हाथों का इस्तेमाल करता है-
1 :- Psychology                                   2  :-   Psychiatry
ये दोनों लगते सामान्य medical के शब्द हैं लेकिन सबसे ज्यादा used होने वाले और खतरनाक चीजें हैं।
चाहे लड़कों को gangaster और आतंकवादी बनाने की बात हो या लड़कियों को सेक्स रैकेट में शामिल कराने की बात, दोनों में सबसे पहले साइकोलॉजी और फिर psychiatry  यूज़ होती है।इसे detail में समझने की जरूरत है।
  किसी भी विशेष काम को करवाने के लिए सबसे पहले एक माफिया द्वारा सबसे पहले योग्य व्यक्तियों की तलाश की जाती है। जैसे कि gangaster बनाने के लिए ताकतवर, shorp-minded और लड़ाई-झगड़े में लिप्त रहने वाले  लड़के और सेक्स रैकेट के लिए खूबसूरत और जवान लडकियों की। इसके बाद दूसरा चरण शुरू होता है  जिसमें गैंग से जुड़े लोगों को psychology का प्रयोग करके  इच्छित लड़के या लड़की की मानसिक स्थिति को समझते हुए  मेलजोल बढाने और उसकी पसंद-नापसन्द जैसी अन्य जानकारीयाँ जुटाने के लिए भेजा जाता है। इसके बाद तीसरे चरण में उस लड़के या लड़की को अपने gang में शामिल करने के लिए नशा,लालच या लड़ाई-झगड़े में सहयोग का सहारा लेते हैं।इसके बाद भी जो लड़के-लड़की नैतिक रूप से मजबूत होते हैं और इनके झांसे में नही आते उनको सामजिक और आर्थिक  स्तर पर कमजोर करके अलग-थलग करने का प्रयास किया जाता है।जैसे तरह-तरह के हथकण्डे अपनाकर पैसे से मजबूर बनाकर,दोस्तों पर दबाव बनाकर उनके माध्यम से उत्तेजक और नशीली वस्तुओं का आदी बनाकर या अन्य किसी माध्यम से मजबूर बनाकर।
लडकियों को sexy लगने के लिए प्रेरित करना और किसी खूबसूरत लड़की को बहका-फुसलाकर भगा ले जाना और थोड़े दिनों में कहीं छोड़ देना ऐसी ही योजना का हिस्सा हो सकते हैं।
नशीली और उत्तेजक दवाओं का आदी बनाने के लिए इन्हें थोडा-2 करके दोस्तों के माध्यम से दिया जाता है और आदि होने पर खुलेआम  दिया जाता है।बाद में उसकी इसी मजबूरी का फायदा उठाकर उससे मनचाहा काम करवाया जाता है।

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