53rd Day :: Oppose of Hindi in Maharastra & Assam- Is it right?

      असम के बाद आजकल महाराष्ट्र में हिन्दी और हिंदीभाषियों का विरोध जोरों पर हो रहा है। जो लोग ऐसा कर रहे हैं क्या उन्हें पता है कि वो क्या कर रहे हैं। हिंदी केवल एक भाषा ही नहीं बल्कि राष्ट्र-भाषा है और इसलिए राष्ट्र-भाषा का विरोध राष्ट्र-विरोधी गतिविधि माना जाना चाहिए।
       हिंदी केवल इसलिए राष्ट्रभाषा नहीं बनी कि सत्ता में बैठे लोग हिन्दीभाषी थे बल्कि इसलिए बनी क्योंकि देश में अधिसंख्य लोग हिंदी बोल व समझ सकते थे।  तो फिर हिंदी का विरोध क्यों ?
       हम लोग बचपन में हिंदी की किताब में शिवाजी व महाराणा प्रताप आदि की वीरगाथाएँ पढ़ते थे। हिंदीभाषियों ने तो कभी भेदभाव नहीं किया कि शिवाजी मराठा थे  तो उनकी कहानी पढ़कर हिन्दीभाषी लोग क्यों जय-जयकार करें , तो फिर मराठी लोग हिंदी  बैर क्यों पाल रहे हैं।
       जहाँ तक महाराष्ट्र में हिंदीभाषियों के विरोध का सवाल है तो मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए है कि वहां U.P. और बिहार से जाने वाले अधिसंख्य लोग मजदूर वर्ग के हैं।  जिनके चलते वहाँ U.P.  और बिहार वालों की गलत छवि बन गयी है।

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