52nd Day :: Tustikaran- Right or Wrong

                किसी विशेष वर्ग को एक limit से ज्यादा सुविधाएँ देना तुष्टिकरण कहलाता है।  तुष्टिकरण एक ऐसी चीज है जो जबतक हमारे लिए होती है तो अच्छी लगती है लेकिन यही चीज जब दूसरों के लिए हो तो हमें बुरी लगती है।
  Overall देखें  तो समाज के लिए ये एक अभिशॉप है। कभी कोई पार्टी मुसलमानों के लिए तुष्टिकरण करती है   तो इससे हिन्दुओं में असंतोष , कुंठा और मुसलमानों के प्रति नफ़रत पैदा होती है। इसी तरह जब दलितों का तुष्टिकरण किया जाता है तो उच्च वर्ग में असंतोष पैदा होता है।
                इन दोनों वर्गों से बदले के नाम पर अब 'हिन्दुत्व' के नाम से आम हिन्दू के तुष्टिकरण की नीति चलाई जा रही है जो कि उतनी ही घातक है जितना कि मुसलमानों और दलितों का तुष्टिकरण।
  वोट-बैंक पक्का करने के चक्कर में विभिन्न पार्टियों द्वारा विभिन्न वर्गों के लिए चलाई जा रही तुष्टिकरण की नीति वास्तव में उस particular वर्ग को दशकों पीछे ले जाती हैं।  इसलिए अब हिन्दुओं को तय करना है कि हिन्दू -तुष्टिकरण  का समर्थन करके उन्हें दशकों पीछे जाना है या तुष्टिकरण की नीति का विरोध करके  आगे।    

Comments

Popular posts from this blog

:: just about me ::

58th Day ::. Want to do Suicide; please do but do that slightly differently

78th Day :: Solution to clashes between Hinduism and Islam