55th day :: Ragging :- we should bear or not
हमारे higher -education Colleges में रैगिंग का चलन पुराना हो चूका है जो कि अंगेज़ों की देन है। अब सवाल उठता है कि क्या ये सही है। मेरे ख्याल से ये नियम बनाया गया था कॉलेज में आने वाले नए स्टूडेंट्स में से कुछ उद्दण्ड स्टूडेंट्स को अनुशासन सिखाने लिए। लेकिन अब तो रैगिंग लेने वाले सीनियर ही उद्दण्ड होते हैं तो वो दूसरों को क्या सिखाएंगे। हमें रैगिंग को स्वीकार नहीं करना चाहिए क्योंकि ये हमारे आत्मसम्मान को तोड़कर रख देता है। कुछ लोगों का मानना होता है कि रैगिंग में सहयोग करने से उन्हें सीनियर्स का सहयोग मिलेगा। मैं इसे सही नहीं मानता। मैं मानता हूँ कि अगर कोई सीनियर अच्छा है तो वह रैगिंग लिए बिना भी सहयोग करेगा और अगर बुरा है तो रैगिंग लेकर भी सहयोग नहीं करेगा।
इसलिए हमें बेफिक्र होकर पूरे जोर से रैगिंग का विरोध करना चाहिए।
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