29th Day :: Think above the skirt
आजकल rape-victim की मौत से पूरे देश में शोक और आक्रोश का माहौल है। बेशक मुझे भी इस घटना से बेहद दुःख पहुँचा है। फिर भी आज मैं एक ऐसी बात लिखने की हिम्मत कर रहा हूँ जिस पर बहुत से लोगों को आपत्ति होगी।
आजकल स्कूलों में लड़कियों के स्कर्ट (या कहें कि mini-skirt ) पहनने के ऊपर विवाद चल रहा है। बिना किसी का पक्ष लिए मैं यह कहना चाहूँगा कि भले ही स्कर्ट का सम्बन्ध rape से न हो लेकिन क्या कोई मुझे यह बताएगा कि स्कूलों में इस तरह के dress का क्या use है?
चलिए मैं यह भी मान लेता हूँ कि इसका सम्बन्ध sexual orientation से नहीं है और इससे पढ़ाई के समय दिमाग divert नहीं होता फिर भी इतना तो आपको भी मानना पड़ेगा कि यह public schools के show-off का माध्यम है।
मेरा कहना है कि schools में dress code ऐसा होना चाहिए जो show-off को नहीं बल्कि सादगी को प्रदर्शित करता हो! जिससे पढ़ाई का माहौल बनाने में मदद मिले और students की पढ़ाई में एकाग्रता बढे।
जो महिलायें इसपर विरोध जता रहीं हैं उनसे मेरा विनम्र निवेदन है कि इसे महिलाओं की स्वतंत्रता का हनन न समझें। नारी-स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि आप सार्वजनिक स्थानों पर भड़काऊ कपड़े पहनें, निजी स्थानों और पार्टियों में आप ऐसे कपडे पहनने के लिए स्वतंत्र हैं ।
आख़िर क्यों हम होली और दिवाली पर जींस-टीशर्ट की जगह पारम्परिक कपड़े पहनते हैं ? क्योंकि हमारे देश की एक विशेष पहचान है और पारंपरिक कपड़े इसी पहचान को प्रदर्शित करते हैं !
........::::: Jai Hind ::::..........
आजकल स्कूलों में लड़कियों के स्कर्ट (या कहें कि mini-skirt ) पहनने के ऊपर विवाद चल रहा है। बिना किसी का पक्ष लिए मैं यह कहना चाहूँगा कि भले ही स्कर्ट का सम्बन्ध rape से न हो लेकिन क्या कोई मुझे यह बताएगा कि स्कूलों में इस तरह के dress का क्या use है?
चलिए मैं यह भी मान लेता हूँ कि इसका सम्बन्ध sexual orientation से नहीं है और इससे पढ़ाई के समय दिमाग divert नहीं होता फिर भी इतना तो आपको भी मानना पड़ेगा कि यह public schools के show-off का माध्यम है।
मेरा कहना है कि schools में dress code ऐसा होना चाहिए जो show-off को नहीं बल्कि सादगी को प्रदर्शित करता हो! जिससे पढ़ाई का माहौल बनाने में मदद मिले और students की पढ़ाई में एकाग्रता बढे।
जो महिलायें इसपर विरोध जता रहीं हैं उनसे मेरा विनम्र निवेदन है कि इसे महिलाओं की स्वतंत्रता का हनन न समझें। नारी-स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि आप सार्वजनिक स्थानों पर भड़काऊ कपड़े पहनें, निजी स्थानों और पार्टियों में आप ऐसे कपडे पहनने के लिए स्वतंत्र हैं ।
आख़िर क्यों हम होली और दिवाली पर जींस-टीशर्ट की जगह पारम्परिक कपड़े पहनते हैं ? क्योंकि हमारे देश की एक विशेष पहचान है और पारंपरिक कपड़े इसी पहचान को प्रदर्शित करते हैं !
........::::: Jai Hind ::::..........
Comments
Post a Comment