40th Day :: What a Coincident
कुछ दिनों पहले चीन से दोस्ती बढ़ाने के लिए वार्ता की गयी। मैं सोच ही रहा था कि इस वार्ता का क्या परिणाम निकलेगा,तभी मैंने सोचा कि क्यों न तब तक पहले हमारे पडोसी देशों से भारत की हुई वार्ताओं और उनके परिणाम पर एक निगाह डाल लूँ । मैंने पाया कि पाकिस्तान से जब-जब बातचीत की गयी तब-तब उससे युद्ध हुआ , 1971 में 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' का नारा जब देश की गली-गली में गूँज रहा था तब चीन ने युद्ध छेड़ दिया। कारगिल युद्ध भी भारत-पाकिस्तान के बीच ट्रेन चलाने के और उदारता के रूप में सीमा के कुछ इलाकों से सेना पीछे बुलाने के बाद हुआ। वर्तमान में भी चीन के साथ वार्ता के बाद खबर आ रही है कि चीन लद्दाख के करीब भारतीय सीमा में घुस आया। क्या इन घटनाओं से हमारे नेताओं के इरादे पर संदेह नहीं होता कि शांति-वार्ता के नाम पर ये लोग बातचीत करने जाते हैं या युद्ध का न्योता देने? ऐसा लगता है जैसे इन वार्ताओं से इन नेताओं के बीच ही दोस्ती बनती और मजबूत होती है और ये नेता दोनों देशों के बीच युद्ध करवाकर मुनाफा पाने की ही कोशिश करते हैं । इसमें कोई शक नहीं कि युद्ध से हथियार बनाने वाली कंपनियों को भारी मुनाफा होता है, इसलिए अगर ये कम्पनियाँ युद्ध कराने के लिए ऐसे नेताओं को एक मोटी रकम दलाली के रूप में देती हों तो इसमें किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
अगर अनुमान या संयोग में कोई सच्चाई न भी हो तो भी इन नेताओं की किसी मसले का वार्ता के द्वारा शांतिपूर्ण हल निकालने की क्षमता पर सवाल तो उठता ही है
..................................!!! जय हिन्द !!!.........................................
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