37th Day :: The Voting
लोकतंत्र हमारे समाज की एक बड़ी खासियत है और लोकतंत्र की सबसे imp. चीज है - Voting. वोटिंग एक ऐसी चीज है जो किसी भी देश की दशा और दिशा निर्धारित करती है। voting किसी भी देश के आम नागरिक को सबसे महत्वपूर्ण और सबसे जिम्मेदार बनाता है। इसलिए देश की बुरी दशा की जिम्मेदारी आम नागरिक को भी लेनी चाहिए। हम हमेशा देश की बुरी दशा के लिए सरकारों को दोषी ठहराते हैं लेकिन हम यह भूल जाते हैं की इन सरकारों को चुनते हम लोग ही हैं। इसलिए हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम पूर्व में शासन कर चुकी सरकारों द्वारा किये गए अच्छे और बुरे कामों का रिकॉर्ड रखें और वर्तमान सरकार के कामकाज पर नजर रखें। इसके बाद चुनाव में शामिल सभी पार्टियों और उम्मीदवारों के बीच तुलना करने के बाद उनके जनहित में या जनविरोधी नीतियों के आधार पर यह फैसला करें कि कौन सी पार्टी या उम्मीदवार देश के सम्पूर्ण विकास के लिए बेहतर विकल्प हो सकती है न कि इस आधार पर कि कौन सी पार्टी या उम्मीदवार किसी वर्ग विशेष के लिए कुछ कर देगा या कोई मंदिर-मस्जिद बना देगा। साथ ही हमें सभी उम्मीदवारों के बारे में भी अच्छी तरह से जानकारी ले लेनी चाहिए। अंत में मैं सोचता हूँ कि हमें 40% उम्मीदवारों की काबिलियत के आधार पर और 60% पार्टी की नीतियों के आधार पर वोट देना चाहिए।
इसके अलावा मैं मानता हूँ कि देश में बाहुबली सांसद या विधायक चुने जाते हैं तो सिर्फ अपने यहाँ के लोगों के सपोर्ट की वजह से, जो कि सिर्फ इसलिए इन बाहुबलियों को वोट दे देते हैं क्योंकि ये उनके छोटे-मोटे झगड़ों में साथ दे देते हैं। हमारे देश में दंगे नेताओं द्वारा केवल इसलिए कराये जाते हैं क्योंकि हमारे देश में जाती-धर्म की दीवार हमारे बीच अभी भी है और हम अपने जाति-धर्म के लोगों को ही अपना सच्चा हितैषी समझते हैं। ये नेता जानते हैं कि दंगे होने के बाद उसकी जाति-धर्म के लोग उसे ही वोट देंगे इसीलिए हमको आपस में ही लड़वाते हैं। इस तरह कई बार ऐसा भी होता है कि हमारी ही जाति-धर्म का नेता हमारा ही घर जलाता है और हम अपने घर को जलाने वाले को ही वोट भी देते हैं। सच में कितने बड़े मूर्ख हैं हम ! जो नेता 5 साल तक घपले घोटालों में लिप्त रहता है और जिसे हम कोसते भी हैं, चुनाव आने पर हम उसे ही वोट दे देते हैं क्योंकि वो हमारी ही जाति-धर्म का होता है या चुनाव के समय वो हमें कुछ व्यक्तिगत लाभ देने की बात कर देता है। अशिक्षितों और बेरोजगारों को शिक्षा और रोजगार देने की बजाय बेरोजगारी भत्ता देकर खुश करने की नीति क्या ऐसी ही प्रलोभन की नीति ही नहीं लगती । ये एक तरह से वोट के बदले रिश्वत देने का legal तरीका ही लगता है।
वास्तव में देश का वास्तविक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि हम जाति-धर्म, व्यक्तिगत लाभ और चुनावी प्रचार या दुष्प्रचार के प्रभाव में न आकर पूरे देश की उन्नति को ध्यान में रखकर उम्मीदवार की कार्यकुशलता और उसकी पार्टी की जनहितवादी नीतियों के आधार पर वोट न देंगे। वोट देते समय पूर्व में जीते प्रत्याशियों और सरकार बना चुकी पार्टियों के प्रदर्शन पर भी ध्यान देना जरूरी है। अंत में मैं कहना चाहूँगा कि अगर हम चाहते हैं कि पार्टियाँ बिजली,पानी,सड़क,रोजगार और स्वास्थ्य आदि बुनियादी मुद्दों पर ही चुनाव लड़ें और यही उनकी प्राथमिकता हो तो हमें इन मुद्दों पर गंभीर पार्टियों को ही वोट देना होगा। साथ ही चुनाव जीतने पर इन मुद्दों से जुडी समस्याओं का हल निकालने या न निकालने के आधार पर ही अगली बार वोट देने के लिए पार्टियों और प्रत्याशियों का चुनाव करना चाहिए।
................................ Jai Hind ..................................
इसके अलावा मैं मानता हूँ कि देश में बाहुबली सांसद या विधायक चुने जाते हैं तो सिर्फ अपने यहाँ के लोगों के सपोर्ट की वजह से, जो कि सिर्फ इसलिए इन बाहुबलियों को वोट दे देते हैं क्योंकि ये उनके छोटे-मोटे झगड़ों में साथ दे देते हैं। हमारे देश में दंगे नेताओं द्वारा केवल इसलिए कराये जाते हैं क्योंकि हमारे देश में जाती-धर्म की दीवार हमारे बीच अभी भी है और हम अपने जाति-धर्म के लोगों को ही अपना सच्चा हितैषी समझते हैं। ये नेता जानते हैं कि दंगे होने के बाद उसकी जाति-धर्म के लोग उसे ही वोट देंगे इसीलिए हमको आपस में ही लड़वाते हैं। इस तरह कई बार ऐसा भी होता है कि हमारी ही जाति-धर्म का नेता हमारा ही घर जलाता है और हम अपने घर को जलाने वाले को ही वोट भी देते हैं। सच में कितने बड़े मूर्ख हैं हम ! जो नेता 5 साल तक घपले घोटालों में लिप्त रहता है और जिसे हम कोसते भी हैं, चुनाव आने पर हम उसे ही वोट दे देते हैं क्योंकि वो हमारी ही जाति-धर्म का होता है या चुनाव के समय वो हमें कुछ व्यक्तिगत लाभ देने की बात कर देता है। अशिक्षितों और बेरोजगारों को शिक्षा और रोजगार देने की बजाय बेरोजगारी भत्ता देकर खुश करने की नीति क्या ऐसी ही प्रलोभन की नीति ही नहीं लगती । ये एक तरह से वोट के बदले रिश्वत देने का legal तरीका ही लगता है।
वास्तव में देश का वास्तविक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि हम जाति-धर्म, व्यक्तिगत लाभ और चुनावी प्रचार या दुष्प्रचार के प्रभाव में न आकर पूरे देश की उन्नति को ध्यान में रखकर उम्मीदवार की कार्यकुशलता और उसकी पार्टी की जनहितवादी नीतियों के आधार पर वोट न देंगे। वोट देते समय पूर्व में जीते प्रत्याशियों और सरकार बना चुकी पार्टियों के प्रदर्शन पर भी ध्यान देना जरूरी है। अंत में मैं कहना चाहूँगा कि अगर हम चाहते हैं कि पार्टियाँ बिजली,पानी,सड़क,रोजगार और स्वास्थ्य आदि बुनियादी मुद्दों पर ही चुनाव लड़ें और यही उनकी प्राथमिकता हो तो हमें इन मुद्दों पर गंभीर पार्टियों को ही वोट देना होगा। साथ ही चुनाव जीतने पर इन मुद्दों से जुडी समस्याओं का हल निकालने या न निकालने के आधार पर ही अगली बार वोट देने के लिए पार्टियों और प्रत्याशियों का चुनाव करना चाहिए।
................................ Jai Hind ..................................
Comments
Post a Comment