61th Day :: A good decision to make our country clean
Make non_veg, liquor, cigarette & lather industry only in one district...
हमारा देश विविधताओ का देश है। हमारे देश में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के लोग पर्याप्त मात्रा में है। समस्या ये है कि माँसाहारी व्यक्ति को तो शाकाहारी व्यक्ति से कोई दिक्कत नहीं होती क्योंकि वो माँस के साथ -साथ साग -सब्जी भी खा सकता है लेकिन शाकाहारी व्यक्ति को माँस , शराब आदि से दिक्कत होती है। साथ ही असामाजिक तत्व भी शराबी और माँसाहारी लोग ही होते हैं।
इसलिए मेरा सुझाव है कि अगर मांस ,,शराब , गुटखा ,सिगरेट ,बीड़ी , चमड़ा आदि जैसे उद्योगों को देश भर से हटाकर सिर्फ एक शहर तक सीमित कर दिया जाय और इनकी बिक्री के लिए हर शहर और गाँव से ५०० मीटर दूरी पर एक छोटा सा बाजार निर्धारित कर दिया जाए , जहां डिब्बा बंद मांस , शराब , सिगरेट आदि उपलब्ध हो। बाकि हर जगह इन चीजों की बिक्री पर रोक लगा दी जाये।
इससे एक फायदा तो ये होगा कि शाकाहारी लोगों को अपने सामने बकरा आदि कटते हुए और सड़क आदि पर फेंके गए बेकार मांस के टुकड़ों को नहीं देखना पड़ेगा और दूसरा फायदा ये होगा कि गाँव के सभी असामाजिक तत्त्व अधिकतर गाँव से बाहर रहेंगे जिससे गाँव में होने वाले लड़ाई - झगड़े भी कुछ हद तक कम हो जायेंगे।
सबसे बड़ी बात है क़ि यही चीजे है जो सडकों पर और लोगों के दिमाग में सबसे ज्यादा गँदगी पैदा करती है जिससे समाज का माहौल खराब होता है।
हमारा देश विविधताओ का देश है। हमारे देश में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के लोग पर्याप्त मात्रा में है। समस्या ये है कि माँसाहारी व्यक्ति को तो शाकाहारी व्यक्ति से कोई दिक्कत नहीं होती क्योंकि वो माँस के साथ -साथ साग -सब्जी भी खा सकता है लेकिन शाकाहारी व्यक्ति को माँस , शराब आदि से दिक्कत होती है। साथ ही असामाजिक तत्व भी शराबी और माँसाहारी लोग ही होते हैं।
इसलिए मेरा सुझाव है कि अगर मांस ,,शराब , गुटखा ,सिगरेट ,बीड़ी , चमड़ा आदि जैसे उद्योगों को देश भर से हटाकर सिर्फ एक शहर तक सीमित कर दिया जाय और इनकी बिक्री के लिए हर शहर और गाँव से ५०० मीटर दूरी पर एक छोटा सा बाजार निर्धारित कर दिया जाए , जहां डिब्बा बंद मांस , शराब , सिगरेट आदि उपलब्ध हो। बाकि हर जगह इन चीजों की बिक्री पर रोक लगा दी जाये।
इससे एक फायदा तो ये होगा कि शाकाहारी लोगों को अपने सामने बकरा आदि कटते हुए और सड़क आदि पर फेंके गए बेकार मांस के टुकड़ों को नहीं देखना पड़ेगा और दूसरा फायदा ये होगा कि गाँव के सभी असामाजिक तत्त्व अधिकतर गाँव से बाहर रहेंगे जिससे गाँव में होने वाले लड़ाई - झगड़े भी कुछ हद तक कम हो जायेंगे।
सबसे बड़ी बात है क़ि यही चीजे है जो सडकों पर और लोगों के दिमाग में सबसे ज्यादा गँदगी पैदा करती है जिससे समाज का माहौल खराब होता है।
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