21st day ::- Untouchability :: The Myth & the Fact
Untouchability आज की एक बड़ी बुराई है। गाँधी जी ने इसे दूर करने का सर्वप्रथम प्रयास किया था, लेकिन अफ़सोस कि इतने सालों बाद भी ये समस्या दूर नहीं हो सकी है।
untouchability में विश्वास रखने वालों के generally दो ही तर्क होते हैं -
1. गन्दगी रखने वाले लोगों से बचना 2. माँसाहार करने वालों से बचना
पहले तर्क के अनुसार हम sc ,st के लोगों से दूरी बनाते हैं। मगर अगर गन्दगी ही मुख्य वजह है तो क्या हम शुद्धता से रहने वाले और पढ़े-लिखे sc ,st के लोगों को अपनी थाली में खिलाने को तैयार हो जाते हैं या फिर अशुद्धता से रहने वाले उच्च जाति के लोगों को अपनी थाली में खिलाने से मना कर देते हैं ?
दूसरे तर्क के अनुसार हम मुसलमानों से दूरी बनाते हैं। यहाँ भी वही सवाल उठता है कि अगर माँसाहार ही मुसलमानों से दूरी बनाने की मुख्य वजह है तो हम क्षत्रियों को अपनी थाली में क्यों खिलाते हैं,जो कि वैदिक काल से ही माँसाहारी हैं। और क्षत्रिय ही क्यों आज तो लगभग हर जाति में हमें कुछ लोग माँसाहारी मिल जायेंगे। फिर ये पाखण्ड क्यों ?
शाकाहारी लोग अपने घर में माँस को न आने दें , यह ठीक है मगर शाकाहारी होने के कारण मुसलमानों से घृणा रखना गलत है।
इसलिए हमें इन खोखले तर्कों से ऊपर उठकर भेद-भाव मिटाने का प्रयास करना चाहिए और सामाजिक सदभाव का परिचय देना चाहिए।
untouchability में विश्वास रखने वालों के generally दो ही तर्क होते हैं -
1. गन्दगी रखने वाले लोगों से बचना 2. माँसाहार करने वालों से बचना
पहले तर्क के अनुसार हम sc ,st के लोगों से दूरी बनाते हैं। मगर अगर गन्दगी ही मुख्य वजह है तो क्या हम शुद्धता से रहने वाले और पढ़े-लिखे sc ,st के लोगों को अपनी थाली में खिलाने को तैयार हो जाते हैं या फिर अशुद्धता से रहने वाले उच्च जाति के लोगों को अपनी थाली में खिलाने से मना कर देते हैं ?
दूसरे तर्क के अनुसार हम मुसलमानों से दूरी बनाते हैं। यहाँ भी वही सवाल उठता है कि अगर माँसाहार ही मुसलमानों से दूरी बनाने की मुख्य वजह है तो हम क्षत्रियों को अपनी थाली में क्यों खिलाते हैं,जो कि वैदिक काल से ही माँसाहारी हैं। और क्षत्रिय ही क्यों आज तो लगभग हर जाति में हमें कुछ लोग माँसाहारी मिल जायेंगे। फिर ये पाखण्ड क्यों ?
शाकाहारी लोग अपने घर में माँस को न आने दें , यह ठीक है मगर शाकाहारी होने के कारण मुसलमानों से घृणा रखना गलत है।
इसलिए हमें इन खोखले तर्कों से ऊपर उठकर भेद-भाव मिटाने का प्रयास करना चाहिए और सामाजिक सदभाव का परिचय देना चाहिए।
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