67th Day :: why i couldn't laugh at the comedy shows and films in india
आजकल tv channels पर comedy shows की बाढ़ सी आ गयी है और साथ ही आ गयी है इनपर भद्दे और अश्लील comments की बाढ़। एक अच्छा कॉमेडियन खुद पर व्यंग्य करके कॉमेडी पैदा करता है(जैसे कि सर्कस में एक जोकर करता है) न कि दूसरों की खिल्ली उड़ाकर और अश्लील कमेंट्स की मदद लेकर। जैसा कि मैंने पहले भी बाज़ारवाद के post में लिखा है कि दिक्कत किसी वस्तु को बेचे जाने से नहीं होती बल्कि बाजार के saturated होने के बाद जबरदस्ती जरुरत पैदा करने की कोशिश से होती है। और कॉमेडियंस को sexual topics और guests की खिल्ली उड़ाने वाले टॉपिक्स ऐसे ही आसान मुद्दे लगते हैं। जिनसे रोज के show के लिए मसाला मिल जाता है otherwise अच्छे मुद्दों पर कॉमेडी करने के लिए ज्यादा मेहनत और ज्यादा time की जरूरत होती है जो ये कॉमेडियन करना नहीं चाहते । कभी -कभी तो ये कॉमेडी guests और public के लिए भी असह्य हो जाती है। इसलिए कॉमेडी करते समय guests और दर्शकों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। ..........jai hind......... ...........be cool...........